वैसे कमलनाथ की क्षमता और क़ाबि लियत को लेकर उनके विरोधी भी संदेह नहीं रखते, ये बात दूसरी है कि कमलनाथ ख़ुद को बड़ा ही लो प्रोफ़ाइल रखते आए हैं. वरना गांधी परिवार से निकट ता, पूरे पचास साल का राजनीतिक जीवन और ख़ुद का अरबों का कारोबारी साम्राज्य, उन्हें हरवक़्त चर्चा में बनाए रखने के लिए कम नहीं हैं. दरअसल, कमलनाथ संजय गांधी के स्कूली दोस्त थे, दून स्कू ल से शुरू हुई दोस्ती, मारुति कार बनाने के सपने के साथ-साथ युवा कांग्रेस की राज नीति तक जा पहुंची थी. पत्रकार विनोद मेह ता ने अपनी किताब संजय गांधी - अनटोल्ड स्टोरी में लिखा है कि यूथ कांग्रेस के दिनों में संजय गांधी ने पश्चिम बंगाल में कमलनाथ को सिद्धार्थ शंकर रे और प्रिय रंजन दासमुंशी को टक्कर देने के लि ए उतारा था. इतना ही नहीं जब इमरजेंसी के बाद संजय गांधी गिरफ्तार किए गए तो उनको कोई मुश्किल नहीं हो, इसका ख़्य़ाल रखने के लिए ज ज के साथ बद तमीज़ी करके कमलनाथ तिहाड़ जेल भी पहुंच गए थे. इन वजहों से वे इंदिरा गांधी की गुड बुक्स में आ गए थे, 1980 में जब पहली बार कांग्रेस ने उन्हें मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से टिकट दिया था.